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अनंत चतुर्दशी पर कैसे करें गणेश की प्रतिमा का विसर्जन, समझना बहुत जरूरी है

हैलो दोस्तो नमस्कार, इस पोस्ट में हमने गणेश विसर्जन से सम्बंधित बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कराई है। हमारे हिन्दू धर्म में पूजा-पाठ की दृष्टि से भगवान गणेश का स्थान सर्वोपरि माना जाता है। 
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Ganesh Chaturdashi Pujan Vidhi Special

मान्यताओ के अनुसार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेशजी का जन्म हुआ था। इस दिन घर घर में मिट्टी के गणेशजी की स्थापना होती है।

अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार 10 सितंबर 2021 से गणेश उत्सव का प्रारंभ हो गया है और विसर्जन अनंत चतुर्दशी अर्थात 19 सितंबर के दिन होगा। ऐसे में अब आगामी 10 दिनों तक श्री गणेशोत्सव का पूरे देश में माहौल देखने को मिलेगा।

इसे अंनत चौदस के नाम से भी जाना जाता है। भले ही पिछले साल की तरह की कोरोना के कारण भक्त इस पर्व को अत्यंत धूमधाम से नहीं मना पाएंगे, लेकिन इसके बावजूद देश में कई जगहों पर इस समय श्री गणेश की मूर्ति विराजित रहेगी।

जिसमें कोरोना गाइडलाइन के अनुसार भक्त दर्शन करने भी पहुंचेंगे। इसके बाद श्री गणेश की मूर्ति को अनंत चतुर्दशी को पानी में विसर्जित कर दिया जाएगा।  धार्मिक मान्यता है कि इस दिन अन्नत सूत्र को बांधने और व्रत रखने से कई तरह की बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

अंनत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
व्रत का पूर्ण लाभ लेने के लिए व्रत के नियमों और संयम का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

पूजा विधि :-

इस दिन मध्यान्ह में गणपति पूजा की जाती है 
इस दिन भगवान गणेश का बड़े हो विधि विधान से पूजा का महत्व है ।सबसे पहले पूजा के स्थान को अच्छे से साफ करे । भगवान को गंगा जल से स्नान कराएं , तिलक लगाए, पुष्प अर्पण करे खाश करके दूब अवश्य अर्पण करे , हल्दी चढ़ाए, इत्र इत्यादि चढ़ा के भगवान को भोग लगाए 21 मोदक अर्पण करते हुए प्रार्थना करने के लिए ये श्लोक पढें :-

विघ्नानि नाशमायान्तु सर्वाणि सुरनायक। कार्यं मे सिद्धिमायातु पूजिते त्वयि धातरि।

इसके उपरांत भगवान की घी के बती से और कपूर से आरती करे। सर झुका के अपनी मनचाही मनोकामना पूर्ण होने की कामना करे ।

ध्यान रखें कि गणेश जी को अर्पित किया गया नैवेद्य :-

सबसे पहले उनके सेवको गणेश , गालव , गार्ग्य, मंगल और सुधाकर को देना चाहिए , चंद्रमा गणेश और चतुर्थी माता को दिन में अर्घ्य अर्पित करें ,देखा जाए तो अधिकाशं मनुष्य किसी प्रकार के विध्न के आने से भयभीत हो जाते हैं गणेश जी को विध्न हरता यूंही नही कहा जाता विध्न आने पर घबराएं नहीं श्री गणेश जी का ध्यान याचना करने से सारे विध्न दूर हो जाते हैं उल्लेख के अनुसार माता पार्वती और पिता शिव के समक्ष श्री गणेश जी वेद में यह वचन कहा है जो अति आवश्यक है। 

पित्रोश्च पूजनं कृत्वा प्रक्रांतिं च करोति य:। 
तस्य वै पृथिवीजन्य फलं भवति निश्चितम।।


इस शुभ अवसर पर भगवान गणपति को मोदक भोग लगाने का लाभ :-

भगवान गणेश को मोदक अति प्रिय है इसी वजह से जब हम उन्हे भोग के रूप में मोदक का भोग लगाते है तो वे बड़े प्रसन्न होते है और अपने भक्तो को मनचाहा वरदान देते है । माना जाता है की चतुर्थी के पावन अवसर पर भगवान गणेश को मोदक का भोग लगाना अति उत्तम और लाभकारी होता है इससे आपके घर में शुभ कार्य की शुरुआत हो सकती है। आपको सुख शांति और खुशी की प्राप्ति होगी। मोदक का अर्थ ही होता है आनंद देने वाला गणेश जी मोदक खाकर आनंदित होते है और भक्तों को आनंदित करते है ।

माना जाता है की भगवान गणेश को मोदक का भोग अति प्रिय है। गणपत्यथर्वशीर्ष में तो यहां तक लिखा है कि, गणपत्यथर्वशीर्ष में तो यहां तक लिखा है कि,
“ यो मोदकसहस्त्रेण यजति स वांछितफलमवाप्नोति।"
यानी जो भक्त गणेश को को एक हजार मोदक का भोग लगाया है गणेश जी उसे मन चाहा फल प्रदान करते है यानी उनकी मुरादें पूरी करते है ।

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